कुमार विश्वास के अनुसार नवरात्रि (Navratri) का पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह शक्ति, संघर्ष, और विजय की एक गहन कथा को संजोए हुए है। इस अवसर पर, कुमार विश्वास ने राम और रावण के बीच एक महत्वपूर्ण युद्ध की घटना को साझा किया है, जो हमें जीवन के संघर्षों का सामना करने और उनसे प्रेरित होने की प्रेरणा देती है।
राम और रावण का युद्ध
कुमार विश्वास बताते हैं की रामायण में एक ऐसा दिन आया जब रावण की सेना ने राम की सेना को पराजित कर दिया। इस दिन रावण ने अपनी शक्ति और रणनीति का प्रयोग करते हुए राम को हताश कर दिया। राम के साथी, जैसे सुग्रीव और लक्ष्मण, भी इस संघर्ष में बेहोश हो गए। जब राम इस स्थिति में लौटे, तो उन्हें अपने मित्रों की हार का गहरा दुःख हुआ। इस दुख में जामवंत, जो कि सेना के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे, ने राम को समझाया कि हार-जीत युद्ध का एक हिस्सा है और कभी-कभी सामने वाले का दिन होता है।
जामवंत का संदेश
जामवंत ने राम को याद दिलाया कि रावण के साथ केवल भौतिक शक्ति नहीं है, बल्कि देवी दुर्गा की शक्ति भी है। यह स्थिति राम के लिए चुनौतीपूर्ण थी। राम ने यह समझा कि वे केवल शारीरिक बल से नहीं बल्कि आध्यात्मिक बल से भी लड़ रहे हैं। जामवंत ने भगवान राम को माँ दुर्गा की 9 दिन तक पूजा करने की सलाह दी। जिससे माँ दुर्गा प्रसन्न हो जाएँ और भगवान श्री राम सरलता से युद्ध जीत सकें।
राम की शक्ति पूजा
जब राम को लगा कि देवी दुर्गा की सहायता की आवश्यकता है, तो उन्होंने 108 कमल के फूल देवी के चरणों में चढ़ाने का निश्चय किया। नवरात्रि के इस पूजा में, राम ने 9 दिनों तक ध्यान किया और हर दिन एक कमल चढ़ाया। लेकिन जब वह 107वां कमल चढ़ा रहे थे, तब देवी ने उनका अंतिम कमल (108 वां) ले लिया। राम की आंखों में आंसू आ गए, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि यदि देवी ने उनकी भक्ति का परीक्षण किया है, तो वह कैसे सफल होंगे।
राम का त्याग
राम ने सोचा कि आखिरी पुष्प की जगह, पूजा पूर्ण करने के लिए उन्हें अपनी एक आंख देवी को चढ़ानी चाहिए। क्योंकि उनकी माँ उन्हें नयन कमल कहा करती थी। उन्होंने एक तीर निकाला और उसे देवी की ओर बढ़ाया। तभी देवी दुर्गा प्रकट हुईं और उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी भक्ति सच्ची है और वह निश्चित रूप से विजय प्राप्त करेंगे।
विभीषण का मार्गदर्शन
विभीषण ने राम से कहा कि रावण रथ पर बैठकर आया है, जबकि राम केवल पैदल हैं। राम ने उत्तर दिया कि असली युद्ध साधना और धैर्य से लड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि उनके पास सच्चाई और धैर्य का रथ है, जिसमें एक तरफ धैर्य और दूसरी तरफ साहस है। यह केवल बाहरी शक्ति से नहीं, बल्कि आंतरिक बल और विवेक से जुड़ा हुआ है।
नवरात्रि की महत्ता
कुमार विश्वास के अनुसार, नवरात्रि का यह पर्व हमें सिखाता है कि असली शक्ति पूजा, साधना, और समर्पण में है। जब हम अपने जीवन में संघर्ष का सामना करते हैं, तब हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानना होता है। नवरात्रि हमें यह भी याद दिलाता है कि सफलता के लिए कभी-कभी हमें त्याग भी करना पड़ता है, जैसे कि राम ने अपनी आंख चढ़ाई।
राम का संदेश
राम का संदेश यह है कि किसी भी संघर्ष में हमेशा सत्य, धैर्य, और साधना की आवश्यकता होती है। यह केवल बाहरी ताकत से नहीं, बल्कि आंतरिक शक्ति से भी लड़ने की प्रेरणा है। राम ने दिखाया कि सच्चाई और धर्म की राह पर चलने से ही हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।
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निष्कर्ष
कुमार विश्वास की इस कथा में नवरात्रि और राम की शक्ति पूजा के महत्व को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे जीवन के संघर्षों में भी एक प्रेरणा है। नवरात्रि का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि शक्ति केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक होती है, और जब हम सच्चाई और श्रद्धा से आगे बढ़ते हैं, तो कोई भी शक्ति हमें रोक नहीं सकती।
इस नवरात्रि, हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानना चाहिए और राम के इस संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए। राम की भक्ति और साधना का यह पर्व हमें सिखाता है कि हर कठिनाई में एक अवसर छिपा होता है, और हमें हमेशा अपने धर्म और सत्य के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए।