श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि : घर पर ऐसे करें सरल और सटीक पूजा | मिलेगा पूरा लाभ

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि : घर पर करें सरल और सटीक पूजा

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि : श्री कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व, हमारे देश में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, व्रत और भजन-कीर्तन किए जाते हैं। यह पर्व हमें भगवान के जीवन से प्रेरणा लेकर धर्म और कर्म के पथ पर चलने की शिक्षा देता है। यदि आप भी अपने घर पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि को संपन्न करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए सरल और सटीक पूजा विधि का पालन करें।

पूजा की तैयारी:

पूजा प्रारंभ करने से पहले, आपको कुछ आवश्यक सामग्री तैयार करनी होगी। इस सामग्री में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर), चावल, रोली, चंदन, पुष्प माला, दीपक, कपूर, अगरबत्ती, तुलसी दल, सुपारी, कलश, आम के पत्ते, नारियल, पीला या लाल कपड़ा, और प्रसाद के लिए फल, मिठाई शामिल हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

1. शांत मन से ध्यान:

– सबसे पहले आप अपने मन को शांत करें और अपने इष्ट देव, कुलदेवता और गुरु का ध्यान करें। हाथ जोड़कर, शांत मन से उनके प्रति समर्पण भाव रखें। मन ही मन संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करेंगे।

2. आचमन:

– आचमन के लिए, जल के बर्तन से एक चम्मच जल अपनी दाई हथेली पर डालें। ओम कृष्णाय नमः का उच्चारण करते हुए उसे पी लें। इस प्रक्रिया को तीन बार करें। इससे शरीर और मन शुद्ध होते हैं और पूजा के लिए तैयार हो जाते हैं।

3. कलश स्थापना:

– चावल का एक ढेर बनाकर उसके ऊपर सजे-सजाए कलश को रखें। कलश में जल भरें, रोली, चंदन और चावल चढ़ाएं। कलश में सुपारी, एक सिक्का और आम के पत्ते डालें। अब उसमें नारियल रखें। इसके बाद कलश को पीला या लाल कपड़ा चढ़ाएं, रोली और अक्षत चढ़ाकर, मन ही मन आंखें मूंदकर प्रार्थना करें। गंगा, जमुना और सरस्वती का स्मरण करें और कलश से प्रार्थना करें।

4. घंटी और शंखनाद:

– अब घंटी और शंख बजाएं। शंख और घंटी की ध्वनि से वातावरण पवित्र होता है और शुभ शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। यह पूजा का महत्वपूर्ण भाग है जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

5. पूजा सामग्री का पवित्रीकरण:

– पूजा में उपयोग होने वाली सभी सामग्री पर पूजा जल का छिड़काव करें। फिर तुलसी और अक्षत चढ़ाएं। जो भी पूजा सामग्री आपने तैयार की है, उसे भगवान के समक्ष अर्पित करें।

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6. पंचामृत स्नान:

– भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके लिए सबसे पहले मूर्ति को दूध से स्नान कराएं, फिर दही, घी, शहद और शक्कर का उपयोग कर क्रमशः पंचामृत स्नान कराएं। इसके बाद मूर्ति को शुद्ध जल से साफ करें। यह स्नान भगवान को शीतलता और सुगंध प्रदान करता है।

7. वस्त्र और श्रृंगार:

– स्नान के बाद भगवान को वस्त्र अर्पित करें। जनेऊ, गंध, इत्र और पुष्प माला चढ़ाकर भगवान का श्रृंगार करें। धूप और अगरबत्ती जलाकर भगवान के समक्ष अर्पित करें और ओम कृष्णाय नमः मंत्र का जाप करते रहें।

8. भोग अर्पण:

– अब भगवान गोपाल को भोग अर्पित करें। प्रसाद के बर्तनों को स्पर्श करते हुए नौ बार ओम का उच्चारण करें। भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना करें कि वे इस भोग को स्वीकार करें।

9. आरती:

– आरती की थाली सजाएं, कपूर जलाएं और खड़े होकर घंटी और शंख के साथ सामूहिक रूप से आरती करें। आरती के दौरान “कुंज बिहारी की गिरिधर कृष्ण मुरारी की” भजन का उच्चारण करें। यह भगवान के प्रति समर्पण का महत्वपूर्ण अंग है।

10. क्षमा याचना:

– जिन्होंने व्रत का संकल्प किया है, वे हाथ जोड़कर आंखें बंद कर भगवान से क्षमा याचना करें। यदि किसी प्रकार की त्रुटि हो गई हो, तो उसके लिए क्षमा मांगें।

11. व्रत का समापन:

– अगली सुबह, श्रीकृष्ण के जन्म के पश्चात जो बचा हुआ पूजा जल है, उसे तुलसी पर चढ़ाएं। जो व्रत संकल्प लिया है, वे भगवान श्रीकृष्ण के भोग से प्रसाद ग्रहण कर अपना व्रत समाप्त करें।

इस प्रकार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि को संपन्न करें और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करें। इस दिन का महत्व भगवान के दिव्य जीवन और उनके द्वारा दिखाए गए धर्म और कर्म के मार्ग का अनुसरण करने में है। जब आप श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा करेंगे, तो भगवान श्रीकृष्ण अवश्य आपकी प्रार्थना को स्वीकार करेंगे।

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