Pongal 2025 : 4 दिन तक ही क्यों मनाया जाता है पोंगल? वजह जान कर चौंक जाएंगे आप

Pongal 2025 : 4 दिन तक ही क्यों मनाया जाता है पोंगल? वजह जान कर चौंक जाएंगे आप

Pongal 2025 : 4 दिन तक ही क्यों मनाया जाता है पोंगल? वजह जान कर चौंक जाएंगे आप

Pongal 2025 : भारत को त्योहारों की भूमि कहा जाता है, जहाँ हर प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। इन त्योहारों का संबंध मौसम और ऋतुओं से है, क्योंकि अधिकांश त्यौहार प्रकृति की बदलती अवस्था को ध्यान में रखते हुए मनाए जाते हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय मनाए जाने वाले त्यौहारों में पोंगल एक प्रमुख त्योहार है, जो विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल भारत में बल्कि श्रीलंका, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में भी मनाया जाता है।

पोंगल के चार प्रमुख दिन

पोंगल (Pongal 2025) का पर्व चार दिनों तक चलता है, और हर दिन का अपना एक विशिष्ट महत्व होता है। यह त्योहार मुख्य रूप से सूर्य देवता, इंद्रदेव और पशुओं के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर है। आइए जानते हैं पोंगल के चार दिनों के बारे में।

1. भोगी पोंगल (Bhogi Pongal)

पोंगल (Pongal 2025) का पहला दिन भोगी पोंगल (Bhogi Pongal) होता है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और घर के आंगन में कोलम (रंगीन रंगोली) बनाते हैं। लोग इस दिन पुराने, बेकार और टूट-फूट की चीजों को एकत्र कर आग में जलाते हैं, ताकि नए साल की शुरुआत ताजगी और नवीनीकरण के साथ हो सके। इसे जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता लाने का प्रतीक माना जाता है।

भोगी पोंगल (Bhogi Pongal) का विशेष संबंध इंद्रदेव से है। इस दिन से जुड़ी एक कथा के अनुसार, जब इंद्रदेव ने अपनी शक्ति का घमंड करते हुए गोकुलवासियों से कर वसूलने का प्रयास किया, तो भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का मार्गदर्शन दिया। इंद्रदेव ने क्रोध में आकर भारी बारिश भेजी, लेकिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर सभी को सुरक्षित किया। इस घटना के बाद इंद्रदेव ने अपनी गलती मानी और पोंगल का यह दिन इंद्रदेव के सम्मान में मनाया जाने लगा।

2. सूर्य पोंगल (Surya Pongal)

पोंगल (Pongal 2025) का दूसरा दिन सूर्य पोंगल (Surya Pongal) कहलाता है। यह दिन सूर्य देवता की पूजा का है। इस दिन लोग विशेष रूप से पोंगल पकवान बनाते हैं, जिसे चावल, गुड़ और दूध से तैयार किया जाता है। इसे मिट्टी के मटके में उबाला जाता है और फिर जब दूध मटके से बाहर गिरने लगता है, तब इसे देवताओं और पशुओं को अर्पित किया जाता है। यह पकवान सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है, और इसे पूरे परिवार में बांटा जाता है।

सूर्य पोंगल (Surya Pongal) का यह दिन खासकर किसानों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सूर्य देवता को समर्पित यह दिन उनके कृषि कार्यों के प्रति आभार व्यक्त करता है। इस दिन को लेकर विशेष धार्मिक अनुष्ठान और पूजा आयोजित की जाती है।

 3. मट्टू पोंगल (Mattu Pongal)

पोंगल (Pongal 2025) का तीसरा दिन मट्टू पोंगल (Mattu Pongal) होता है, जो विशेष रूप से गाय, बैल और अन्य घरेलू पशुओं को समर्पित है। इस दिन, किसान अपने पशुओं को स्नान कर सजाते हैं और उन्हें ताजे भोजन और भोग अर्पित करते हैं। यह दिन भगवान शिव के वाहन नंदी से जुड़ा हुआ है।

कथा के अनुसार, भगवान शिव ने नंदी से पृथ्वी पर यह संदेश भेजने को कहा कि लोग प्रतिदिन स्नान करें और महीने में एक बार भोजन करें, लेकिन नंदी ने उल्टा संदेश दिया, जिससे पृथ्वी पर अनाज की कमी होने लगी। भगवान शिव ने नंदी को यह सजा दी कि वह हमेशा के लिए पृथ्वी पर रहकर किसानों की मदद करेगा। यही कारण है कि मट्टू पोंगल को पशुओं और विशेष रूप से बैल, गाय, और बकरियों के सम्मान में मनाया जाता है।

4. कानुम पोंगल (Kaanum Pongal)

पोंगल (Pongal 2025) का चौथा और अंतिम दिन कानुम पोंगल (Kaanum Pongal) होता है, जिसका अर्थ होता है “भेंट देना”। इस दिन, लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों से मिलते हैं और उन्हें उपहार देते हैं। यह दिन सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर होता है। इस दिन कई प्रकार के पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें लोग एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं और खुशी मनाते हैं।

पोंगल का महत्व

पोंगल (Pongal 2025) एक ऐसा त्योहार है जो हमें अपनी जमीन और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की शिक्षा देता है। यह केवल सूर्य देवता की पूजा नहीं, बल्कि पशुओं और किसानों की मेहनत का भी सम्मान है। पोंगल के चारों दिन हमें यह याद दिलाते हैं कि जीवन में संतुलन, आभार और सामूहिकता का महत्व है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि हमें अपने आसपास की प्राकृतिक शक्तियों और जीव-जंतुओं के प्रति सम्मान और आभार रखना चाहिए, क्योंकि यही हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।

यहाँ भी पढ़े: Lohri 2025 : 99% लोग नहीं जानते क्यों मनाई जाती है लोहड़ी | वजह जान कर चौक जाएंगे आप

निष्कर्ष

पोंगल (Pongal 2025) सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृतिपूर्ण आयोजन है जो हमें प्रकृति, पशुओं और कृषि कार्यों के महत्व को समझाता है। यह दिन सिर्फ श्रद्धा और पूजा का नहीं, बल्कि एक नए जीवन के आरंभ का प्रतीक भी है। जब हम अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ इस त्योहार को मनाते हैं, तो हम अपनी जड़ों से जुड़ने और अपने सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर पाते हैं। पोंगल एक ऐसा त्यौहार है जो हमें सामूहिकता, समृद्धि और आभार का संदेश देता है।