Dr. BR Ambedkar विवाद के बीच Viral हो रहा Sadhguru का यह Video | जाने ऐसा क्या कह दिया सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने

Dr. BR Ambedkar विवाद के बीच Viral हो रहा Sadhguru का यह Video | जाने ऐसा क्या कह दिया सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने

Dr. BR Ambedkar विवाद के बीच Viral हो रहा Sadhguru का यह Video | जाने ऐसा क्या कह दिया सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने

Dr. BR Ambedkar Controversy : भारत में Dr. BR Ambedkar को लेकर एक नया राजनीतिक विवाद शुरू हो गया। इसी विवाद के बीच Sadhguru के एक Video Viral हो रही है। डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय इतिहास के महानायकों में से एक हैं। उनका जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी है, जो हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकता है। लेकिन क्या अंबेडकर को भगवान की तरह पूजना सही है? सद्गुरु इस विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि हमें नेताओं और समाज सुधारकों की पूजा करने की बजाय उनके विचारों और कार्यों का अनुकरण करना चाहिए।

डॉ. अंबेडकर: एक प्रेरणा, न कि पूजा का पात्र

डॉ. अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar Controversy) ने अपने जीवन में अनेकों संघर्ष झेले। उनकी यात्रा का एक किस्सा, जब वे नौ साल के थे, बताता है कि समाज में जाति-आधारित भेदभाव कितना गहरा था। रेलवे स्टेशन पर उनके परिवार को वेइटिंग रूम में रुकने की अनुमति नहीं मिली। यहां तक कि बैलगाड़ी वाला भी उन्हें अपनी गाड़ी पर बैठाने को तैयार नहीं था। इस प्रकार का भेदभाव, जो एक इंसान की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, आज भी ग्रामीण भारत में कहीं न कहीं मौजूद है।

सद्गुरु के अनुसार, अंबेडकर का जीवन इस बात का प्रमाण है कि कठिन परिस्थितियों में भी एक इंसान अपने जीवन को अपने हाथों में लेकर किस प्रकार ऊंचाईयों तक पहुंच सकता है। लेकिन, हमें अंबेडकर या किसी भी नेता को भगवान की तरह पूजने की बजाय उनके विचारों को अपनाने और उनके कार्यों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।

जाति और भेदभाव: एक जटिल समस्या

सद्गुरु का मानना है कि जाति-आधारित भेदभाव भारतीय समाज के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। यह केवल अतीत की समस्या नहीं है; आज भी कई ग्रामीण इलाकों में दलित समुदाय के लोग भेदभाव का शिकार होते हैं। उन्हें मुख्य दरवाजे से घर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती, और कई जगहों पर वे चाय की दुकानों पर भी समानता के साथ बैठकर चाय नहीं पी सकते।

जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए आरक्षण एक साधन हो सकता है, लेकिन इसका सही और संतुलित उपयोग आवश्यक है। सद्गुरु का सुझाव है कि आरक्षण को पीढ़ियों के अनुसार चरणबद्ध तरीके से लागू करना चाहिए। जो दलित समुदाय के लोग शहरी इलाकों में रहकर पहले ही सशक्त हो चुके हैं, उन्हें अपनी जगह ग्रामीण दलितों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

आरक्षण और शिक्षा का महत्व

सद्गुरु ने आरक्षण की आवश्यकता को वर्तमान समय में भी उचित ठहराया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि शिक्षा ही वह माध्यम है, जो दलित समुदाय को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बना सकता है। हालांकि, इसके लिए यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि आरक्षण का दुरुपयोग न हो। प्रवेश प्रक्रिया में सहायता दी जा सकती है, लेकिन योग्यता के मानकों पर समझौता नहीं होना चाहिए।

साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि ग्रामीण दलितों को प्राथमिकता दी जाए, क्योंकि वहां भेदभाव अधिक है। जो लोग आरक्षण के माध्यम से एक बेहतर स्थिति में पहुंच चुके हैं, उन्हें दूसरों की मदद करने के लिए इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहिए।

पूजा नहीं, अनुकरण जरूरी है

सद्गुरु ने यह भी कहा कि अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar Controversy) ने अपने जीवन में नेतृत्व के नए मानक स्थापित किए। उन्होंने अपने जीवन को अपनी परिस्थितियों से परे ले जाकर एक नई दिशा दी। लेकिन, उनकी पूजा करने से समाज में कोई वास्तविक बदलाव नहीं आएगा। हमें अंबेडकर के जीवन का अनुकरण करना चाहिए। उनके संघर्ष, उनकी मेहनत, और उनके विचारों को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

नेताओं और समाज सुधारकों को भगवान की तरह पूजने की मानसिकता भारतीय समाज में गहराई से बैठी हुई है। सदियों तक गुलामी और अधीनता में रहने के कारण भारतीय मानस में यह धारणा बैठ गई है कि जो ऊपर है, उसे खुश करना ही हमारा कर्तव्य है। लेकिन, यह मानसिकता आज के भारत के लिए बाधक है।

सद्गुरु का संदेश: अनुकरण से आएगा बदलाव

सद्गुरु के अनुसार, समाज में परिवर्तन केवल पूजा से नहीं, बल्कि अनुकरण से आएगा। अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar Controversy) ने हमें दिखाया कि कैसे एक इंसान, चाहे वह कितनी भी कठिन परिस्थितियों में क्यों न हो, अपने जीवन को बदल सकता है। हमें उनकी इसी ताकत से प्रेरणा लेनी चाहिए।

अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) का जीवन इस बात का उदाहरण है कि सामाजिक अन्याय का शिकार होकर भी एक व्यक्ति कैसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है। लेकिन, यह भी जरूरी है कि हम हर व्यक्ति से अंबेडकर जैसा बनने की उम्मीद न करें। इसके लिए समाज को समान अवसर देने होंगे।

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निष्कर्ष

डॉ. अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar Controversy) का जीवन भारतीय समाज के लिए एक उदाहरण है, जो बताता है कि संघर्ष और मेहनत से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। लेकिन, सद्गुरु का संदेश हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमें अंबेडकर की पूजा करने की बजाय उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।

यदि हम अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) के विचारों और कार्यों का अनुकरण करेंगे, तो हम न केवल जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त कर पाएंगे, बल्कि एक अधिक समतावादी और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण भी कर सकेंगे। पूजा से अधिक आवश्यक है कि हम उनकी शिक्षा और आदर्शों को अपने जीवन में लागू करें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।