Table of Contents
Toggleकुमार विश्वास का छठ पूजा पर दृष्टिकोण: लोक पर्व से वैश्विक पहचान तक
छठ पूजा : कुमार विश्वास, हिंदी कविता के जगत के जाने-माने नाम, जब भी किसी मुद्दे पर बात करते हैं, वह अपनी सोच और गहनता से उसे नया अर्थ प्रदान करते हैं। छठ पूजा केवल बिहार या पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अब वैश्विक पहचान बना चुका है। कुमार विश्वास ने इसे “लोक पर्व” और “महापर्व” के रूप में वर्णित किया और बताया कि कैसे छठ पूजा पर्यावरणीय स्थिरता और जीवन के हर पहलू को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है।
छठ पूजा का वैश्विक महत्व
कुमार विश्वास का कहना है कि छठ पूजा अब सिर्फ बिहार का पर्व नहीं रह गया है, यह अब पूरे विश्व में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि छठ की मान्यताओं में जो प्रतीकात्मकता है, वह वैश्विक रूप से स्वीकार्य हो चुकी है। छठ पूजा के माध्यम से लोग यह समझने लगे हैं कि पर्यावरण और प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस पर्व के पीछे की कथाओं को भी साझा किया, जिसमें राजा प्रियवत और मालिनी की कथा विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यह कहानी छठ देवी की महिमा और उनके प्रति श्रद्धा को दर्शाती है।
ढलते सूर्य की पूजा
कुमार विश्वास ने छठ पूजा के महत्व को समझाते हुए कहा कि जहां पूरी दुनिया उगते हुए सूरज को प्रणाम करती है, वहीं भारत की संस्कृति ढलते सूर्य को भी सम्मान देती है। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति की विशेषता बताया, जो विपत्ति में भी समर्पण और आस्था बनाए रखने की शिक्षा देती है। “संपत्ति और विपत्ति में एक समान रहना” यही छठ पूजा का मुख्य संदेश है, और इसी कारण इसे “लोक पर्व” कहा जाता है।
छठ पूजा का सरल और सहज स्वरूप
कुमार विश्वास ने छठ पर्व की सरलता और उसमें निहित जनसहभागिता की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि दीपावली या होली जैसे त्योहारों के विपरीत, छठ पूजा में किसी विशेष पंडित या पुरोहित की आवश्यकता नहीं होती। गंगा नदी, सूर्य और बांस की बनी सुपली का प्रयोग करते हुए लोग अपने मन से इस पर्व को मनाते हैं। यही कारण है कि छठ पर्व को “लोक पर्व” कहा जाता है, जहां कोई भी व्यक्ति अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ इसे मना सकता है।
बिहार और छठ पर्व: एक अटूट संबंध
बिहार के लोगों की संघर्षशीलता और उनकी प्रतिभा पर बात करते हुए, कुमार विश्वास ने कहा कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद खुद को सिद्ध किया है। उन्होंने बिहार के प्रसिद्ध व्यक्तित्वों जैसे पंकज त्रिपाठी, मनोज वाजपेयी, प्रकाश झा, और शत्रुघ्न सिन्हा का उदाहरण देते हुए कहा कि इन सभी ने अपने संघर्ष और मेहनत से बिहार का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को जहां भी जाते हैं, साथ ले जाते हैं, और यही कारण है कि आज पूरी दुनिया में छठ पर्व मनाया जाता है।
यह भी पढ़ें : कुमार विश्वास ने समझाया भगवान राम का जीवन चरित्र | जो आपको सकारात्मक ऊर्जा से भर देगा
छठ पर्व और समाजवाद का प्रतीक
कुमार विश्वास ने छठ पर्व को समाजवाद का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि छठ पूजा के दौरान समाज के सभी वर्गों के लोग एक साथ सूर्य को अर्घ्य देते हैं, चाहे वह किसी भी आर्थिक या सामाजिक पृष्ठभूमि से हों। इस पर्व में सभी समान होते हैं और यही इस पर्व की खासियत है। यह पर्व आंतरिक शुद्धता और तपस्या का प्रतीक है, जो लोगों को विपरीत परिस्थितियों में भी मजबूत बने रहने की प्रेरणा देता है।
कुमार विश्वास का संदेश
अंत में, कुमार विश्वास ने अपने प्रशंसकों को संदेश देते हुए कहा कि छठ पर्व से हमें यह सिखने की जरूरत है कि सत्य का आधार हमेशा विजय होता है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों। उन्होंने बिहार के लोगों की मेहनत और संघर्षशीलता की सराहना की और उन्हें अपने मूल्यों और परंपराओं को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।
कुमार विश्वास का छठ पर्व पर यह दृष्टिकोण हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमारी परंपराएं और त्योहार कितने महत्वपूर्ण होते हैं और कैसे वे हमें एकजुट करते हैं। छठ पर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन की सच्चाइयों और मूल्यों को समझने और स्वीकारने का एक माध्यम है।