Buddhism in China History : चीन में बौद्ध धर्म से पहले कौन सा धर्म था? कैसे आया बौद्ध धर्म भारत से चीन? सम्पूर्ण इतिहास
Buddhism in China History : जब भी बौद्ध धर्म का जिक्र होता है, हमारे दिमाग में श्रीलंका, भूटान, म्यांमार और नेपाल जैसे देशों की तस्वीरें उभरती हैं। यह वे देश हैं, जहां बौद्ध धर्म को मानने वालों की बड़ी संख्या रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बौद्ध धर्म को मानने वाली सबसे बड़ी आबादी चीन में रहती है? यह एक अद्भुत सच्चाई है कि आज भी, जब मुख्यधारा चीन में धर्म पर नियंत्रण लगाने की कोशिशें की जाती हैं, वहां की 33% से ज्यादा आबादी बौद्ध धर्म को मानती है। यह आंकड़ा भारत के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि बौद्ध धर्म, जो भारत की धरती पर जन्मा और एक समय हमारे देश का गौरव था, अब भारत में लगभग समाप्त होने की कगार पर है।
बौद्ध धर्म की शुरुआत
गौतम बुद्ध (Buddhism in China History) ने 483 ईसा पूर्व कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। उनकी मृत्यु के बाद, उनके अनुयायियों के बीच यह बहस छिड़ गई कि बुद्ध के उपदेशों को किस रूप में और किस तरह से फैलाया जाए। यही बहस आगे चलकर बौद्ध धर्म को दो प्रमुख धाराओं में विभाजित करने का कारण बनी:
- हीनयान: यह मान्यता रखता था कि बुद्ध एक साधारण मनुष्य थे जिन्होंने तपस्या और साधना से मोक्ष प्राप्त किया।
- महायान: इसने बुद्ध को एक ईश्वर के अवतार के रूप में देखा जो मानवता के कल्याण के लिए धरती पर आए। इस धारणा ने बुद्ध को भगवान के रूप में पूजने की परंपरा को जन्म दिया।
महायान विचारधारा ने बौद्ध धर्म (Buddhism in China History) को सीमित दायरे से निकालकर एक वैश्विक धर्म बनाने की कोशिश की। यहीं से बौद्ध धर्म भारत के बाहर अन्य देशों में फैलना शुरू हुआ।
चीन में बौद्ध धर्म का आगमन
चीन में बौद्ध धर्म (Buddhism in China History) का आगमन पहली शताब्दी के मध्य में माना जाता है। इसके पीछे एक रोचक कहानी है। हान राजवंश के सम्राट मिंग ने एक रात सपना देखा जिसमें उन्होंने एक स्वर्णिम देवता को देखा। यह सपना उनके लिए रहस्यमय था, और उन्होंने दरबार में इस पर चर्चा की। उनके एक मंत्री ने सुझाव दिया कि यह स्वर्णिम देवता भारत के महान संत बुद्ध हो सकते हैं। इस प्रेरणा से मिंग ने भारत में दूत भेजे। ये दूत बुद्ध की मूर्तियां और बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथ लेकर चीन लौटे। इन ग्रंथों को रखने के लिए “वाइट हॉर्स टेम्पल” का निर्माण किया गया, जो चीन में बौद्ध धर्म का पहला केंद्र बना।
सिल्क रूट और प्रारंभिक प्रसार
इतिहासकार मानते हैं कि बौद्ध धर्म चीन में (Buddhism in China History) सिल्क रूट के माध्यम से पहुंचा। व्यापारिक मार्ग के साथ-साथ बौद्ध भिक्षु और व्यापारी भी अपने साथ बुद्ध के उपदेश लेकर चीन आए। हालांकि, प्रारंभिक समय में बौद्ध धर्म चीन में ज्यादा प्रभाव नहीं जमा सका। इसकी मुख्य वजह यह थी कि:
- बौद्ध धर्म को चीन में विदेशी माना जाता था।
- भाषा और सांस्कृतिक भिन्नता के कारण बौद्ध ग्रंथों को समझना मुश्किल था।
- चीन के पास पहले से ही दाओवाद और कन्फ्यूशियस जैसे गहरे दार्शनिक और धार्मिक विचार मौजूद थे।
विभाजन के युग में बौद्ध धर्म का विस्तार
दूसरी सदी में हान राजवंश के पतन और चीन के विभाजन (Buddhism in China History) के बाद के समय को “डिसयूनिटी का काल” कहा जाता है। इस दौरान, मध्य एशिया से आए कई गैर-चीनी समूह उत्तरी चीन में बस गए। ये समूह चीन के पारंपरिक दार्शनिक विचारों से उतना जुड़ाव नहीं रखते थे, जिसके कारण बौद्ध धर्म उनके लिए एक नया और आकर्षक विकल्प बना।
कुमारजीव का योगदान
मध्य चीन में बौद्ध धर्म (Buddhism in China History) के प्रसार का सबसे बड़ा श्रेय कुमारजीव नामक बौद्ध भिक्षु को जाता है। चौथी शताब्दी में, कुमारजीव ने बौद्ध ग्रंथों का अनुवाद सरल और प्रभावी भाषा में किया, जिससे चीन की जनता बौद्ध धर्म के वास्तविक उपदेशों को समझने में सक्षम हो सकी। उनका अनुवाद कार्य बौद्ध धर्म को चीन में लोकप्रिय बनाने का महत्वपूर्ण कारक बना।
दाओवाद और बौद्ध धर्म का संगम
चीन में बौद्ध धर्म (Buddhism in China History) को सबसे बड़ी चुनौती दाओवाद से मिली, जो पहले से ही चीनी समाज में गहराई से जड़ें जमा चुका था। दाओवाद की शिक्षाएं बौद्ध धर्म की कुछ शिक्षाओं के साथ मेल खाती थीं, जैसे पुनर्जन्म और कर्म चक्र की अवधारणा। इस संगम ने बौद्ध धर्म को “चाइनीज बुद्धिज्म” के रूप में एक नया स्वरूप दिया।
तांग राजवंश का युग
सातवीं शताब्दी में तांग राजवंश के उदय के साथ बौद्ध धर्म को चीन (Buddhism in China History) में और मजबूती मिली। इस युग में चीन का एकीकरण हुआ, जिससे धार्मिक विचारों का प्रसार आसान हो गया। इस काल में चीनी बौद्ध धर्म ने अपनी पहचान बनाई और उसे दुनियाभर में लोकप्रियता मिली।
शांग जांग और भारत की यात्रा
महान चीनी बौद्ध भिक्षु शांग जांग (ह्वेनसांग) ने 629 ईस्वी में भारत की यात्रा की। उनकी यह यात्रा बौद्ध धर्म के ग्रंथों और उपदेशों को समझने और चीन में सटीकता से प्रचारित करने के लिए थी। उनके प्रयासों ने बौद्ध धर्म को चीनी समाज में और गहराई से स्थापित किया।
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निष्कर्ष
बौद्ध धर्म का चीन (Buddhism in China History) तक का सफर एक अद्भुत कहानी है, जिसमें भारत की धरती से जन्मा एक साधारण दर्शन चीन जैसे विशाल और प्राचीन सभ्यता वाले देश में फैलकर वहां की संस्कृति का हिस्सा बन गया। यह न केवल बौद्ध धर्म के विचारों की व्यापकता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे एक दर्शन विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों के संगम से समृद्ध हो सकता है।