Barsana Sant Kishori Das Baba : कौन हैं बरसाना के अद्भुत संत किशोरी दास बाबा? राधा रानी की भक्ति में छोड़ दिया सब कुछ
Barsana Sant Kishori Das Baba : राधा रानी जी की कृपा से, इस जीवन काल में अगर आपकी रुचि थोड़ी बहुत भी भक्ति में आई है और आपको संतों की वाणी सुनना पसंद है, तो आपको किसी न किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बरसाना के इन संन्यासी संत के दर्शन जरूर हुए होंगे। ये संत कोई और नहीं बल्कि संत किशोरी दास बाबा हैं।
प्रथम बार जो भी इन संत की अद्भुत वाणी सुनता है, तो कई प्रश्न उस व्यक्ति के मन में आने लगते हैं। जैसे:
- ये संत कौन हैं?
- ये कहां से आए हैं?
- ये कहां रहते हैं?
- इनके दर्शन हम कहां कर सकते हैं?
- इनकी वाणी इतनी उग्र क्यों है?
- कहीं यह सब पब्लिसिटी पाने के लिए कोई ढोंग तो नहीं?
आज के इस ब्लॉग में हम आपको संत किशोरी दास बाबा (Barsana Sant Kishori Das Baba) से जुड़े इन सभी सवालों का उत्तर देने का प्रयास करेंगे। आशा है कि हमारा यह प्रयास आपको अवश्य पसंद आएगा।
संत किशोरी दास बाबा कौन हैं?
बरसाना के ये संत आजकल सोशल मीडिया पर “संत किशोरी दास बाबा (Barsana Sant Kishori Das Baba)” के नाम से चर्चा में हैं। इनकी चर्चा का मुख्य कारण है इनकी वाणी और इनका अहंकार रहित ऐसा भाव जो आज के समय में दुर्लभ है। इनके सत्संग में वो आनंद मिलता है जो शायद ही पहले कभी अनुभव हुआ हो।
इनके जीवन की शुरुआत बहुत ही साधारण रही। बाबा का जन्म मुंबई, महाराष्ट्र में, एक पुष्टिमार्ग वैष्णव संप्रदाय से संबंधित परिवार में हुआ। इनका परिवार गुजराती था और “जय श्री कृष्ण” इनकी आम बोलचाल का हिस्सा था। हालांकि, बचपन में भगवान के प्रति इनका कोई विशेष भाव नहीं था।
प्रारंभिक जीवन की कठिनाइयां
बचपन में ही इन्हें अपनी माता की अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी और पिता के देहांत का सामना करना पड़ा। मात्र 12 वर्ष की उम्र में इनके पिताजी का निधन हो गया। इस घटना ने इनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया। मां की देखभाल की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर आ गई, जिसके कारण इन्हें अपनी पढ़ाई भी कक्षा 9 में ही छोड़नी पड़ी।
वे (Barsana Sant Kishori Das Baba) भगवान से नाराज रहते और कई बार गाली भी दे देते। एक समय ऐसा भी आया जब वे चर्च जाने लगे और वहां अकेले बैठकर घंटों सोचते रहते।
भक्ति में जागृति का क्षण
सन् 2009 में महाराष्ट्र के पालघर जिले के वसई में प्रथम बार जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का आयोजन हुआ। इस रथ यात्रा में राधा रानी की कृपा से इनके (Barsana Sant Kishori Das Baba) जीवन में कुछ ऐसा घटित हुआ, जिसने इन्हें भक्ति मार्ग की ओर प्रेरित किया। इसके बाद इन्होंने शास्त्रों का अध्ययन करना शुरू किया और अपनी मां की सेवा के साथ-साथ भक्ति में भी रुचि लेने लगे।
बरसाना की यात्रा
सन् 2012 में संत किशोरी दास बाबा (Barsana Sant Kishori Das Baba) पहली बार वृंदावन आए। चार दिन वृंदावन और चार दिन बरसाना में रुकने के बाद वे वापस वसई लौट गए। वहां इन्होंने अपनी मां की सेवा जारी रखी। लेकिन 23 सितंबर 2018 को इनकी मां का देहांत हो गया। इस घटना ने इन्हें पूरी तरह से राधा रानी के चरणों में समर्पित कर दिया।
स्थायी रूप से बरसाना आना
संत किशोरी दास बाबा (Barsana Sant Kishori Das Baba) सन् 2022 में हमेशा के लिए बरसाना आ गए। प्रारंभ में उन्होंने 11 महीने किराए के मकान में बिताए और बाद में एक ब्रजवासी के घर में कुछ समय रुके। लेकिन राधा रानी की सेवा के लिए जिस एकांत की आवश्यकता थी, वह उन्हें वहां नहीं मिल पाया।
एक दिन बाबा ने राधा रानी से अपनी यह समस्या प्रकट की। कुछ समय बाद, एक अन्य संत के माध्यम से उन्हें एकांत में रहने के लिए स्थान मिला। यही वह कुटिया है, जिसे आपने बाबा की शुरुआती वीडियो में देखा होगा।
बाबा का सरल जीवन और भक्ति
संत किशोरी दास बाबा (Barsana Sant Kishori Das Baba) ने राधा रानी की सेवा और भक्ति को अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य बना लिया। बाबा को बचपन से अस्थमा की बीमारी है और आयुर्वेदिक दवाइयां चलती रहती हैं। जब एक भक्त ने उनसे पूछा कि दवाइयों का खर्च कैसे उठाते हैं, तो उन्होंने उत्तर दिया, “राधा रानी सब व्यवस्था करवा देती हैं।”
बाबा कहते हैं कि वो अभी राधा रानी की गोद में हैं और उनकी अंतिम इच्छा राधा रानी से गले मिलने की है। वे अपनी पूरी ऊर्जा इसी लक्ष्य को प्राप्त करने में लगाते हैं।
बाबा के सत्संग का प्रभाव
जब भी कोई इनके सत्संग में शामिल होता है, तो उनकी उग्र वाणी और भावपूर्ण भक्ति मन को छू जाती है। बाबा की वाणी में छिपा राधा रानी का प्रेम और उनसे मिलने की तीव्र इच्छा हर भक्त को भाव-विभोर कर देती है। इनके सत्संग में लोग भावुक हो जाते हैं और भक्ति का आनंद प्राप्त करते हैं।
बाबा का एकांत जीवन
संत किशोरी दास बाबा (Barsana Sant Kishori Das Baba) अपने अधिकतर समय को राधा रानी की सेवा में बिताना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने एकांत का चयन किया। बाबा का कहना है कि ख्याति और धन भक्ति मार्ग में गतिरोधक हो सकते हैं, इसलिए इन चीजों से दूर रहना चाहिए।
कई भक्तों ने बाबा से दमा के स्थायी इलाज के लिए बरसाना छोड़ने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वे किसी भी स्थिति में बरसाना नहीं छोड़ेंगे। उनके लिए बरसाना राधा रानी की गोद है।
दर्शन की इच्छा रखने वाले भक्तों के लिए संदेश
अगर आप बरसाना जाकर बाबा (Barsana Sant Kishori Das Baba) के दर्शन करना चाहते हैं, तो यह ध्यान रखना जरूरी है कि बाबा ने एकांत का चयन किया है। ऐसे में, उनके इस एकांत को बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। बाबा स्वयं भी यही चाहते हैं।
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निष्कर्ष
संत किशोरी दास बाबा (Barsana Sant Kishori Das Baba) का जीवन और उनकी भक्ति हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति के लिए समर्पण और अहंकार रहित भाव कितने जरूरी हैं। उनका जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो भक्ति मार्ग पर चलने की इच्छा रखते हैं।
हम आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको संत किशोरी दास बाबा (Barsana Sant Kishori Das Baba) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। अगर आपको यह प्रयास अच्छा लगा हो, तो इसे दूसरों के साथ साझा करें।
जय श्री राधे!