Ramayan : रामायण से जुड़ी ये 5 बातें आपको गलत बताई गई | Unknown Facts about Ramayana in Hindi

Ranayan : रामायण से जुड़ी ये 5 बातें आपको गलत बताई गई | 4 Unknown Facts about Ramayana in Hindi

Ramayan : रामायण से जुड़ी ये 5 बातें आपको गलत बताई गई | Unknown Facts about Ramayana in Hindi

5 Unknown Facts about Ramayana in Hindi : रामायण (Ramayan) की कहानी भारतीय समाज के दिल में बसी हुई है और इसकी विभिन्न प्रस्तुति हर युग और स्थान में अलग-अलग रूप में सामने आई है। आज के समय में रामायण की कथा को टीवी सीरियल्स और फिल्मों के माध्यम से देखा जाता है। रामानंद सागर के प्रसिद्ध टीवी सीरियल “रामायण” ने 1987 में घर-घर में रामायण की कहानी को जीवंत कर दिया।

लेकिन अगर हम वाल्मीकि द्वारा रचित मूल रामायण (Ramayan) को देखें, तो उसमें और टीवी सीरियल में दिखाए गए दृश्यों में कई अंतर देखने को मिलते हैं। इन भिन्नताओं को समझना और जानना महत्वपूर्ण है ताकि हम समझ सकें कि हमारे समक्ष प्रस्तुत की गई रामायण की कथा कहाँ तक ऐतिहासिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से सही है और कहाँ पर लोककथाओं और जनमानस की कल्पना का प्रभाव पड़ा है।

रामायण के विभिन्न संस्करण

भारत में लगभग 300 से भी अधिक रामायणें प्रचलित हैं। इनमें से दो प्रमुख हैं – वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास कृत रामचरितमानस। वाल्मीकि रामायण को सबसे प्राचीन और प्रमाणिक माना जाता है, जो मूलतः संस्कृत में लिखी गई थी। वहीं रामचरितमानस तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में 16वीं शताब्दी में लिखी गई। इन दोनों ग्रंथों के अलावा भी विभिन्न स्थानों और कालों में रामायण (Ramayan) की कथा को अलग-अलग तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जैसे बंगाल की कृतिवासी रामायण, ओडिया रामायण, आदि।

5 Unknown Facts about Ramayana in Hindi

सीता का स्वयंवर और वीर्यशुल्क

रामानंद सागर की रामायण (Ramayan) में सीता स्वयंवर का दृश्य बहुत भव्य रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसमें विभिन्न राजा और राजकुमारों का एक बड़ा समूह एकत्रित होता है और शिव धनुष को उठाने की कोशिश करता है। यह दृश्य एक बड़े महोत्सव जैसा प्रतीत होता है, जो दर्शकों को आकर्षित करता है। लेकिन वाल्मीकि रामायण में ऐसा कोई भव्य समारोह नहीं होता। वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड के 66वें सर्ग में वर्णन मिलता है कि राजा जनक ने सीता के स्वयंवर को वीर्यशुल्क घोषित किया था। इसका अर्थ यह था कि जो राजा शिव धनुष को उठा सकेगा, वह सीता से विवाह कर सकेगा।

यह प्रक्रिया धीरे-धीरे चलती रही, और कई राजा और राजकुमार शिव धनुष को उठाने का प्रयास करते रहे लेकिन असफल रहे। इस दौरान राजा जनक को भी कई युद्ध लड़ने पड़े। बाद में जब विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण मिथिला नगरी पहुंचे, तब राजा जनक ने राम को यह चुनौती बताई। राम ने विश्वामित्र की आज्ञा से शिव धनुष को उठाया और उसे तोड़ दिया, जिसके बाद सीता से उनका विवाह हुआ।

रामचरितमानस में तुलसीदास ने इस घटना को और अधिक रोचक बनाने के लिए एक भव्य स्वयंवर का आयोजन बताया है, जहाँ एकत्रित राजा और राजकुमारों ने शिव धनुष उठाने का प्रयास किया। इसलिए यह दृश्य, जिसे हमने टीवी सीरियल्स में देखा, रामचरितमानस से प्रेरित है, जबकि वाल्मीकि रामायण में इस प्रकार का कोई भव्य आयोजन नहीं होता।

लक्ष्मण रेखा का मिथक

लक्ष्मण रेखा का दृश्य, जिसमें लक्ष्मण माता सीता की सुरक्षा के लिए एक रेखा खींचते हैं, बहुत प्रसिद्ध है। यह घटना सीरियल्स और लोककथाओं में इतनी प्रचलित हो चुकी है कि आज यह रामायण (Ramayan) का एक अभिन्न हिस्सा प्रतीत होती है। लेकिन वाल्मीकि रामायण में लक्ष्मण रेखा का कोई वर्णन नहीं मिलता। वाल्मीकि रामायण के अरण्यकाण्ड के 45वें सर्ग में, जब लक्ष्मण राम की सहायता के लिए जाते हैं, तब किसी रेखा का जिक्र नहीं किया गया है।

अगर हम रामचरितमानस को भी देखें, तो अरण्यकाण्ड में भी लक्ष्मण रेखा का कोई उल्लेख नहीं मिलता। लेकिन लंका काण्ड में जब मंदोदरी रावण को समझाती हैं, तब वह लक्ष्मण रेखा का उल्लेख करती हैं। यही कारण है कि इस घटना को सीरियल्स और फिल्मों में दिखाया जाता है, जबकि वाल्मीकि रामायण में इसका कोई उल्लेख नहीं है।

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शबरी और झूठे बेर

शबरी और उनके झूठे बेर की कहानी भी बहुत प्रसिद्ध है। यह घटना दर्शाती है कि किस प्रकार भगवान राम ने शबरी के झूठे बेर खाए, जो शबरी ने उनके प्रेम और भक्ति में चखकर उन्हें दिए थे। लेकिन वाल्मीकि रामायण (Ramayan) में इस घटना का कोई उल्लेख नहीं है। वाल्मीकि रामायण के अरण्यकाण्ड में शबरी द्वारा राम का स्वागत और उन्हें फल अर्पित करने का वर्णन है, लेकिन झूठे बेर की कथा कहीं नहीं है।

यह घटना पद्म पुराण और ओडिया रामायण में मिलती है, जहाँ शबरी की भक्ति का वर्णन किया गया है। इस घटना ने भारतीय समाज में भक्ति और जातिगत भेदभाव के खिलाफ एक सशक्त संदेश दिया है, और इसलिए यह कथा इतनी प्रचलित हो गई कि इसे विभिन्न रूपों में रामायण की कहानी का हिस्सा बना दिया गया।

हनुमान जी का छाती फाड़ना

हनुमान जी द्वारा अपनी छाती फाड़कर राम, सीता और लक्ष्मण की छवि दिखाने की घटना भी भारतीय जनमानस में गहरे रूप से बसी हुई है। यह घटना हनुमान जी की भक्ति और समर्पण को दिखाती है। लेकिन यह घटना भी वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलती। वाल्मीकि रामायण (Ramayan) के युद्धकाण्ड में जब सीता हनुमान को मोतियों की माला देती हैं, तो हनुमान उसे स्वीकार करते हैं।

यह घटना कृतिवासी रामायण से ली गई है, जो बंगाल की एक रामायण है और 15वीं शताब्दी में लिखी गई थी। यहाँ हनुमान जी की भक्ति और उनके समर्पण का वर्णन इस प्रकार किया गया कि उन्होंने अपनी छाती फाड़कर राम, सीता और लक्ष्मण को दिखाया।

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निष्कर्ष

रामायण (Ramayan) की कहानी समय-समय पर विभिन्न साहित्यकारों और कवियों द्वारा पुनः रचित की गई है। हर युग और हर क्षेत्र में रामायण की कथा को समाज की आवश्यकताओं और लोककथाओं के अनुसार प्रस्तुत किया गया है।

रामानंद सागर की रामायण ने इस पौराणिक कथा को एक नए रूप में प्रस्तुत किया, जिसे भारतीय जनमानस ने स्वीकार किया और इसे अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बना लिया। हालाँकि, वाल्मीकि रामायण और टीवी सीरियल में कई अंतर हैं, फिर भी यह दिखाता है कि किस प्रकार हमारी संस्कृति ने धार्मिक ग्रंथों को एक सजीव और विकसित कथा के रूप में स्वीकार किया है।

इस प्रकार, रामायण (Ramayan) केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी कथा है जिसने हमारे समाज, संस्कृति और मूल्यों को आकार दिया है।

अगर आप रामायण के बारे में और भी ज्यादा विस्तार से जानना चाहते हैं तो नीचे दी गई पुस्तकें अवश्य पढ़ें।

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